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समाजक खोखला रीत मे धसि क' देखू
दुख लेल अनकर खुशी मे हँसि क' देखू
सब डाह सँ कानै छथि एहि दुनियाँ मे
अपन धाव पर मे मलहम घसि क' देखू
समाजक खोखला रीत मे धसि क' देखू
दुख लेल अनकर खुशी मे हँसि क' देखू
सब डाह सँ कानै छथि एहि दुनियाँ मे
अपन धाव पर मे मलहम घसि क' देखू
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