प्रस्तुत अछि मुन्ना जीक गजल-------------
शब्दसँ हटि शब्द-सारसँ काज चलाबैए लोक
अर्थकेँ अनर्थ क' तँआब पसाही लगाबैए लोक
सभहँक चित्त तँ स्थिर नै रहि पबै छै सदिखन
जिन्दो लोककेँ मरल कहि फायदा उठाबैए लोक
सभटा आब बिसरि जाइछ लोक स्वार्थ-सिद्धि बास्ते
नाङटोकेँ खुजल मंचपर नचाब' चाहैए लोक
बिसरि औकाति बेसियोमे अतृप्तिक भान होइ छै
तखन भिजलो काठकेँ धधका ताप' चाहैए लोक
शब्दक अर्थ ज्ञान वास्ते फलखति नै होइत छै
मुदा शब्द जोड़ि रचनाकार कहाब' चाहैए लोक
आखर-----19
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