नै जीयत शराबक नशा लागल लोक
कोना हँसत कोनो दुखक खेहारल लोक
काठी फेकबै आगि उठतै बोतल सँ
नै रहतै जवानी अपन जाड़ल लोक
के कानक कतौ आन लेए क'ह एत'
नै छै समय ककरो अपन भागल लोक
दै छै साँस कखनो अपन धोखा आब
एहन नेह मे छै किए पागल लोक
जड़तै एक दोसर सँ जिनगी मे जखन
कटतै घेँट अपने सबर हारल लोक
क्षण भरि के नवल दोस्त नै चाही आब
हमरा "अमित" चाही अपन झाड़ल लोक
मफऊलातु-मुस्तफइलुन-मफऊलातु
2221-2212-2221
बहरे-हमीद
अमित मिश्र
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