गजल-४५
आब सूतल लोकजागि रहलैए
तइँ बेछोहेचोर भागि रहलैए
देखू लागलभीड़ चौबटिया पर
बेटामाँ-बापके बेलागि रहलैए
बजरोक भीड़तकैछ एकांत
सूतय लेल लोकजागि रहलैए
चैतक पछबासुड्डाह भेल घर
भादबो मे धधकिआगि रहलैए
तबधल धरतीदहेतै फेरो सँ
सुगरकोना मेघलागि रहलैए
जड़लै घर, दहेलै डीह"चंदन"
डटले लोक क्योने भागि रहलैए
--------------वर्ण-१३------------
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