अनचिन्हार आखर
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शेर जे सभ दिन शेर रहतै
गुरुवार, 24 मई 2012
गजल
गजल-४२
आँखि खूनसँभरल जेना
काँट हृदय गरलजेना
पानि खौलय अनलजेना
आगि लगए ठरलजेना
नोर पोखरि भरलजेना
धार खूनक बहलजेना
गाछ छलए फरलजेना
आब लगए झरलजेना
गाम छलए सजलजेना
आब"चंदन" मरल जेना
2122-2122
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वर्ण-१०-------
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