गुरुवार, 24 मई 2012

गजल


गजल-४१

मलय पवन केमदिर गंध सँ श्वास रोग उपचार करब

दुषित वायुअवरूद्ध साँस जे तकर आब प्रतिकार करब


जड़वत बनल जेजीवन जगमे तकरा पुनः बना चेतन

मधु-पराग सँनहाके ओहिमे नवल उर्जाक संचार करब


निज अवलंबनहेतु जगायब बिसरल सभटा श्रम-शक्तिके

कर्मेक बलपरविजय प्राप्ति लय कर्मयुद्ध हुंकार करब


रहत आब नहिहारल-थाकल घर-बैसल मानव एक्कहु

चलू आब कर्मकप्रकाश सँ करिखल घर उजियार करब


एकप्रणएकनिष्ठ श्रद्धासँ निश्छल भावहि गाँथब श्रममाल

श्रमक फल भेटबछै निश्चित "चंदन" जगत प्रचार करब

--------------------वर्ण-२४-------------------------

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों