गजल-४१
मलय पवन केमदिर गंध सँ श्वास रोग उपचार करब
दुषित वायुअवरूद्ध साँस जे तकर आब प्रतिकार करब
जड़वत बनल जेजीवन जगमे तकरा पुनः बना चेतन
मधु-पराग सँनहाके ओहिमे नवल उर्जाक संचार करब
निज अवलंबनहेतु जगायब बिसरल सभटा श्रम-शक्तिके
कर्मेक बलपरविजय प्राप्ति लय कर्मयुद्ध हुंकार करब
रहत आब नहिहारल-थाकल घर-बैसल मानव एक्कहु
चलू आब कर्मकप्रकाश सँ करिखल घर उजियार करब
एकप्रणएकनिष्ठ श्रद्धासँ निश्छल भावहि गाँथब श्रममाल
श्रमक फल भेटबछै निश्चित "चंदन" जगत प्रचार करब
--------------------वर्ण-२४-------------------------
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