गुरुवार, 31 मई 2012

गजल



अपन लोक मरखाह बनल छै यौ भैया
नाता रिश्ता आब चोटाह बनल छै यौ भैया

जहर पिब तेजै छै अपन प्राण अपने
जिनगी भवर अथाह बनल छै यौ भैया

नोर पोछत नै आब केऊ ककरो कहियो
दोसरक हँसी कटाह बनल छै यौ भैया

प्रेम बनल आब एत' इतिहासक शब्द
करेजक छंद घबाह बनल छै यौ भैया

लूट मचल अछि चारू दिश इजोरिये मे
जन जनक डलबाह बनल छै यौ भैया

उबडूब करै छी संसारक बैतरणी मे
जिनगी त' फूटल नाह बनल छै यौ भैया

अपन शप्पत द' बनबै अपन दुश्मन
"अमित " शोणित सियाह बनल छै यौ भैया

वर्ण-16

अमित मिश्र

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों