गुरुवार, 31 मई 2012

गजल


बेटा अपन मुर्ख के सोटा सँ हम अकछ छी
बाबाक फूटलहबा लोटा सँ हम अकछ छी

पेट्रोल कखनो त' कखनो गैस सब्जी महग
काला बजारी करै कोटा सँ हम अकछ छी

बेटी कपारपर छै चिन्ता इ सदिखन बनल
कनियाक नेहक भरल मोटा सँ हम अकछ छी

छै आगि धरती बनल नै पानि आकाश मे
पीबैत कारी धुआँ मोटा सँ हम अकछ छी

दै यै भगा काज छोड़ा जीब कोना बचब
छै खसल टाकाक लंगोटा सँ हम अकछ छी

रचना करै छी त' खर्चा होइ यै नै मुदा
अतिथी "अमित" एत' दस गोटा सँ हम अकछ छी

मुस्तफइलुन-फाइलुन दू बेर
2212-212-2212-212
बहरे-बसीत

अमित मिश्र

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों