गुरुवार, 24 मई 2012

गजल


गजल-४४

मोन केर बातसदति लिखिते रहब

चौबटिया ठाढ़गजल कहिते रहब


जिनगीक बाटकतबो गड़ै काँट-कूश

हँसिते गुलाबसन गमकिते रहब


समाजो बरुघिसिऔत हमरा कादो मे

कदबे कमल बनिफुलाइते रहब


बरू कतबोझाँट-बिहाड़ि ऐत रस्ता मे

मुदा तैयो दीपआसक लेसिते रहब


'चंदन' पाथर समाजकछाती पिजाय

कलमक धार सँशत्रू हनिते रहब

--------------वर्ण-१५-----------

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों