बुधवार, 23 मई 2012

गजलकार परिचय शृखंला भाग-14

यदुनाथ झा यदुवर

१८८७-१९३५

मुरहो, मधेपुरा



मैथिलीमे हिनक २टा गजल आ १टा कौआली उपल्बध अछि।यदुवरजीक सभ गजल "यदुवर रचनावली"(संपादक रमानंद झा रमण)पर अधारित अछि। यदुवर रचनावलीकेँ गौरसँ देखलापर पता चलैए जे यदुवर जी भारतीय शास्त्रीय संगीत ओ लोकगीत दूनू अधारपर अपन रचना केलनि आ संभवतः वएह अधार ओ गजल लेल सेहो लेलनि जे की गलत अछि। तँ देखू हिनक गजल---

यदुनाथ झा "यदुवर"
1
भगवान हमर ई मिथिला सुख शान्तिमय नगर हो
सभ कीर्तिमे अमर हो सद्गुण सदैव उर हो

मनमोहिनी प्रकृतिसँ युक्त रहय सदा ई
मंगलमयी सुजनकाँ अलौकिक प्रेम उर हो

सीता सरस्वती ओ लखिमा समानि घर घर
हो जन्म नारि मणि जे आदर्श भूमि पर हो

राजा विदेह सन हो न्यायी प्रजा हितैषी
नृपभक्त उद्यमी औ धर्मी प्रजा सुघर हो

जैमिनि कणाद कपिलादि वाल्मीकि सम
पुनि याज्ञवल्यक मुनि सन विप्र वर हो
 घर घर वेदान्त ज्ञाता, हो अष्टावक्र सन सब
पुनि पिंगलाक सदृश, हरि भक्त नारि नर हो

मण्डन,महेश,उदयन,शंकर ओ पक्षधर सन
पुनि कालिदास सन सभ, कवि पण्डित प्रवर हो

मनबोध और विद्यापति, हर्षनाथ, चन्दा
सन मैथिलीक सेवक, कविवर अनेक नर हो

नारायणी ओ गंगा कमला ओ कोशि विमला
सन सर्वदा सुनिर्मल धारा प्रवाह धर हो

निज देश भक्त ज्ञानी सुउदार स्वार्थ त्यागी
नर रत्न हो ओ यदुवर गौरव सुबुद्धि कर हो

2
प्रेममयी रत्न खानि देश मुकुट जननी तों
भारत बिच श्रेष्ठ प्रान्त हमर जन्म धरनी तों

शत शत नैर रत्न सिंह, पण्डित प्रसवनी तों
दार्शनिक शास्त्रकार विज्ञ जनक जननी तों

सुजल सुफल शस्य शालिसौं सुस्वच्छ वरनी तों
विकशित बहुकुंज सुसुम सौं अतीव रमणी तों

धन्य धन्य मातु हमर मिथिले सुख सदनी तों
"यदुवर" जन कल्पलता देवि शत्रु शमनी तों



--- शाइरक मूल वर्तनी देल गेल अछि। हमरा हिसाबें नैर मने नर

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों