गजल-४७
राति सपन मेप्रियतम एलाह
कर-कौशल सँहमरा जगेलाह
काँच निन्नटूटल,मोन कछमछ
उड़ीबिड़ी लगाअपने नुकेलाह
देहक पानि बनिबहल पसेना
अधरतिये मोनप्यास लगेलाह
कसमस आञ्गि नखलागि फाटल
चेन्ह सगर देहनह गरेलाह
हमरा संग कतखेल खेलेलाह
"चंदन"तखन जा मोन जुड़ेलाह
----वर्ण-१३-------
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