अनचिन्हार आखर
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शेर जे सभ दिन शेर रहतै
बुधवार, 23 मई 2012
रुबाइ
कखनो तँ हम अहाँ केँ मोन पडिते हैब
यादिक दीप बनि करेज मे जरिते हैब
बनि सकलहुँ नै हम फूल अहाँक कहियो यै
मुदा काँट बनि नस नस मे तँ गडिते हैब
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