गजल-४०
राति तरेगणगनिते कटै छी
आगि विरहकेजड़िते रहै छी
बाट अहीँकयतकिते रहै छी
रूप अहीँलयसजिते रहै छी
बनल बताहेहँसिते रहै छी
कोनहि बैसलकनिते रहै छी
गीत विरह केगबिते रहै छी
तामस मोनकपिबिते रहै छी
मोनहि अपनेलड़िते रहै छी
"चंदन"लागयजिविते मरै छी
/2-1+1-2 + 2-1 + 1-2+ 1-2-2/
---------वर्ण-१२-----------
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