प्रस्तुत अछि मुन्ना जीक गजल-------------
जकरासँ लय मिलए ओ गीत बुझू
जकरासँ स्वर मिलए ओ मीत बुझू
सिनेही तँ एहिठाम भ' सकैए केओ
जकरासँ नजरि मिलए प्रीत बुझू
आधुनिकताकेँ फेरमे बहि नै जाउ
परंपराकेँ सदिखन अतीत बुझू
पक्षधरसँ राखू अपनाकेँ बचा क'
विपक्षीक सभ बातकेँ नै तीत बुझू
आखर-----14
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