शनिवार, 12 मई 2012

गजल



हमर नेहक सजा जिनगी जड़ा देलक
गीत दर्दक बना जिनगी कना देलक

छै अनचिन्हार अपने नाम एखन यौ
खेल झूठक जमा जिनगी हरा देलक

नोर बहतै त' हमरे पर हँसत दुनियाँ
कसम झूठे गना जिनगी लिखा देलक

जहर के प्रेम मे खूनो जहर भेलै
दाँत विरहक गड़ा जिनगी विषा देलक

गाम उजड़ल शहर कानल हँसल जत' ओ
भवर एहन फँसा जिनगी बझा देलक

नै मवाली अहाँ हमरा कहू देखिक'
नेह पागल बना जिनगी डरा देलक

जीब कोना बचल जिनगी कहू एखन
"अमित" मौतसँ सटा जिनगी मुआ देलक

फाइलातुन-मफाईलुन-मफाईलुन
2122-1222-1222
बहरे-मुशाकिल

अमित मिश्र

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों