प्रस्तुत अछि मुन्ना जीक गजल----
केलक रौदी कहियो दाही कहियो
छोड़लक कहियो उछाही कहियो
दोसरक बेगरते देल लगानी
अपना बेगरते उगाही कहियो
केसक बिन ने हएत समझौता
मोकदमा कहियो गवाही कहियो
हम तँ घूर जड़ेलौ गर्मी मासमे
मिझाएल आगिसँ पसाही कहियो
खद्धधारीक इशारे जुलुम करैए
अफसर तँ छल सिपाही कहियो
आखर-----13
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