गुरुवार, 21 जून 2012

गजल


गजल-५७

नैनक काजर परमोहित छै सगरो जगत

जड़ैत डिबियाकेर मोनक मरम के बुझत ?


मदान्ध केसरोकार नहि होइत छै ककरो सँ

फेर सरकार केकोना दीनक लचारी सूझत ?


गोर गाल, कारी काजरदेखि अन्हरेलै युवक

तखन कनैत मायकआँखिक नोर के पोछत ?


काँख तरनुकौने रहैछै लोक पानिक बोतल

तखन फेरचौड़ीमे के इनार पोखरि खुनत ?


गाम भऽगेलैसुन्न मुदा करे चकमक शहर

"चंदन" ईबढ़ैत बिषमता के सम के करत?

-------------वर्ण-१८--------------

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों