गुरुवार, 21 जून 2012

गजल


गजल-५६

दानवी चोट सँमानवता थकुचल जाइए

चाँगुरक नोकसँ मनुक्ख बकुटल जाइए


भजारि-भजारिबिचार लोक भजार तकैछै

तैयोडेग-डेगपर भजार ठकल जाइए


नञ्गटे नचइतलोकके सोच कहाँ छैक जे

नाच बढ़ल जाइएआ' तेल सधल जाइए


जड़ा छातीकेनिकलैछ जे धूँआ असमान मे

ओही सँ तप्त पृथ्वी, हिमालयो घमलजाइए


"चंदन"रोगायलछाती कुंठित मोन लोकके

बस पाथरक मकान खाली बढ़ल जाइए

-----------------वर्ण-१७------------

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों