गुरुवार, 21 जून 2012

गजल


गजल-५५

हम रूकल छी, लेखनी ठमकलअछि

सभ कल्पनाठामे-ठाम दरकल अछि


प्रगतिक पहियाआइ बिच्चे बाट पर

भ्रष्टाचारकओठ लागि अरकल अछि


भोगी भूपति सभधयने बाना योगी के

रोटी प्रजाकेखाय क्रमशः सरकल अछि


ज्ञान-शील, तप-त्यागसंकुचित भेल छै

मुदा संकीर्णसोच सौंसे फलकल अछि


"चंदन"लोककेनिश्चय प्रतिकार चाही

कि फेर अनेरुएमेघ ढनकल अछि ?

---------------वर्ण-१५--------------

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों