सोमवार, 7 मई 2012

गजल


गजल-३९

मोन एहन जे मानबे नहि करैए
आगि विरहा तैँ साउनो मे जरैए

नोर झहरै छै आँखि से, कंठ सुखले
बुन्न भरि नेहक लेल तैयो मरैए

जेठ के रौदहु जकर छाहरि जुरेलौँ
बिनु बसाते से पात आसक झरैए

डारि पर प्रीतक,फरल संबंध छल जे
पाथरे चोटायल, सड़ल फर झरैए

बाट 'चंदन' टकटक अहीँके तकैए
मोन बहसल,ने आस किन्नहु धरैए

2122-2212-2122
बहरे-खफीफ

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों