सोमवार, 21 मई 2012

गजल


आँखि सॉ नींद आब चलू भगा देल जाए
जोश भरल ई यात्रा के मजा लेल जाए

शहीद'क लहू सॉ भिजल माटि जे अछि
माथ ई माटि के चानन लगा लेल जाए

हाथ'क रेखा आगाँ बढबा सॉ रोकै यदि
एहन रेखा चलू आब मेटा लेल जाए

केओ बढतै आगाँ हम रहि जेबै पाछाँ
ई भरम आब मोन सॉ हटा देल जाए

अपना चाहि कथी सभ के भेटतै कथी
स्पष्ट भ'क' आब सभ के बता देल जाए

धागा प्रेम'क छलै गाँठ परलै जरुर
समय चिन्हू ओकरा सोझरा लेल जाए

फेरो तोडत मोडत बाँटत हमरा जे
उ सपने पर डोजर चला देल जाए

धर्म के नाम पर कर्म के जौं छोट कहै
एहन पाँती के पोथी स’ हटा देल जाए

इत्र सॉ तेल सॉ देह गमकल बहुत
मातृ भक्ति सॉ मोन के गमका लेल जाए

प्रेम बिरह'क गीत युवा गयलौं बहुत
वीर रस मे गेबै आब बता देल जाए

की आब चुप नै रहै अधिकार'क माँग
डर के कमला कोशी मे बहा देल जाए

सुततै किया अनेरो बहिर सरकार
शंख फूँकि आब ओकरा जगा देल जाए
 

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों