रविवार, 6 मई 2012

गजल

खूनसँ भिजलै धरती मिथिला बनबे करतै
कतबो घायल मैथिली मिथिला बनबे करतै
जानकीके छाती पर जे चोट लगलै आइ एत'
खून बनि जेतै चिनगी मिथिला बनबे करतै
चोटाहल साँप ध' लै छै रौद्र भयानक रूपके
आब शेर गरजै बेशी मिथिला बनबे करतै
एकोटा शहीदके बलिदान नै हेतै व्यर्थ आब
पापीके मूँह हेतै कारी मिथिला बनबे करतै
जागू मिथिला एक जूट भ' चलियौ छाती तानि क'
करियौ "अमित" तैयारी मिथिला बनबे करतै
वर्ण-18
अमित मिश्र

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों