सोमवार, 7 मई 2012

गजल


गजल-३३

करेजकेँ पाथर बना लिअ

पिरीतकेँ आखर मिटा दिअ

सपन जनम भरिकेर देखल

कहूतऽ की नोरहि भसा दिअ

जड़ैत छै जे आगि विरहक

कहैत छी तकरा मिझा दिअ

जनमक संगी बनकि बदला

कहैत छी नाता कटा लिअ

रकटल "चंदन" मोन बेकल

कियोतऽ प्रीतम के बुझा दिअ 

/12-1222-122

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों