गजल-३२
उजरल गाछी
जँका लगैछै गाम हमर
चुप्पी सधने
किएक कनैछै गाम हमर
नवकी कनिञा
जँका छलैजे गाम हमर
विधवा नारी
बनल कनैछै गाम हमर
भरले-पुरले
हँसै छलैजे गाम हमर
टूअर टापर
जँका फिरैछै गाम हमर
प्रीतक पाँती
गबय छलैजे गाम हमर
उकटा-पैंची
किएक करैछै गाम हमर
निर्मल-निश्छल
बास छलैजे गाम हमर
"चंदन"
किए डेरौन लगैछै गाम हमर
-----वर्ण-१६-------
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