गजल-३४
मिथिला राजक
खातिर मैथिल लड़बे करतै
खूनसँ भिजलै
धरती मिथिला बनबे करतै
निज मातृभूमि
उत्थानक हेतु लड़िते रहतै
मायक लाजक
खातिर संतति मरबे करतै
मिथिला-मैथिल-मैथिलीक
स्वाभिमानक रक्षार्थ
निज प्राणहु
के उत्सर्ग मैथिल करबे करतै
कमला-गंगा-कोशी-गंडकक
सप्पत खा' मैथिल
अलगहि राजक
सपना पूरा करबे करतै
जेतै ने
ब्यर्थ बलिदान आब कोनो बलिदानी के
"चंदन"
ठोस प्रतिकार मैथिल करबे करतै
-------वर्ण-१८-------
मिथिला-मैथिल-मैथिली
अस्मिताक रक्षाक हेतु लड़निहार,समस्त बलिदानी के समर्पित.
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