गजल-३५
कहिये सँ
कतिआयल कनै छथि जानकी
कहिये सँ
रिरिआयल फिरै छथि जानकी
मिथिला सँ
बिधुआयल लगै छथि जानकी
मैथिल सँ
खिसिआयल लगै छथि जानकी
घर-घर सँ
बौआयल फिरै छथि जानकी
घर-घर तऽ
छिछिआयल फिरै छथि जानकी
रामहि सँ
डेरायल लगै छथि जानकी
जिनगी सँ
अकछायल लगै छथि जानकी
अपराध की
कयलनि पुछै छथि जानकी
चुप्पहि जनक
"चंदन" कनै छथि जानकी
2212 + 2212 + 2212 -बहरे-रजज.
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