सोमवार, 7 मई 2012

गजल


गजल-३५

कहिये सँ कतिआयल कनै छथि जानकी

कहिये सँ रिरिआयल फिरै छथि जानकी


मिथिला सँ बिधुआयल लगै छथि जानकी

मैथिल सँ खिसिआयल लगै छथि जानकी


घर-घर सँ बौआयल फिरै छथि जानकी

घर-घर तऽ छिछिआयल फिरै छथि जानकी


रामहि सँ डेरायल लगै छथि जानकी

जिनगी सँ अकछायल लगै छथि जानकी


अपराध की कयलनि पुछै छथि जानकी

चुप्पहि जनक "चंदन" कनै छथि जानकी


2212 + 2212 + 2212 -बहरे-रजज.

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों