सोमवार, 7 मई 2012

गजलकार परिचय शृखंला भाग-3


मायानंदमिश्र




मैथिलीगजलक चर्चित आ कुख्यात दूनूरूपमे स्थान। मायानंद मिश्रकई कथन जे मैथिलीमे गजल नै लिखलजा सकैए, अनघोलमचेने रहए। मुदा मैथिली गजलकपहिल अरूजी मने गजल शास्त्रकारश्री गजेन्द्र ठाकुर मतें "मायानंदमिश्र "कमात्र एतबा अभिमत रहन्हि जेवर्तमानमे मैथिलीमे बहर युक्तगजल नै लिखल जा सकैए। तँए ओस्वयं अपने गीतल नामसँ गजलरचना केलन्हि ( ऐठाममोन राखू जे माया बाबू मैथिलीमेगजलकेँ नाम गीतल देने छलखिन्हजे कि अस्वीकार्य छल ) मुदाआन-आनगजलकार सभ एकरा दोसर रूपमेलेलक आ परचारित केलक जे मायाबाबूक कथन थिक जे मैथिलीमेगजल लिखले नै जा सकैए। गजेन्द्रजी आगू लिखै छथि जे ई माया बाबूजँ ई कहबो केलखिन्ह जे मैथिलीमेगजल नै लिखल जा सकैए तँ ई कथनहुनकर सीमाक संग-संगओहि समय सभ गजलकारक सीमा छल।कारण ओहि समय एकौटा गजलकारमैथिलीमे बहरयुक्त गजल नैलीखि सकलाह आ माया बाबूकउक्तिकेँ सत्य करैत रहलाह।मुदाबाद मे इ. 2008मेअनचिन्हार आखरक आगमन होइतेमाया बाबूक सभ मत-अभिमतधवस्त भए गेल।

हिनकजन्म 17अगस्त 1934 ई.केँसुपौल जिलाक बनैनियाँ गाममेभेलनि।भाङ्क लोटा, आगिमोम आ’ पाथर आओर चन्द्र-बिन्दु-हिनकरकथा संग्रह सभ छन्हि। बिहाड़िपात पाथर , मंत्र-पुत्र,खोताआ’ चिडै आ’ सूर्यास्त हिनकरउपन्यास सभ अछि॥ दिशांतर हिनकरकविता संग्रह अछि। एकर अतिरिक्तसोने की नैय्या माटी के लोग,प्रथमंशैल पुत्री च,मंत्रपुत्र,पुरोहितआ’ स्त्री-धनहिनकर हिन्दीक कृति अछि।1988- हिनका(मंत्रपुत्र,उपन्यास)परमैथिलीक साहित्य अकादमीपुरस्कारसँ सम्मानित कए गेलन्हि।

प्रबोधसम्मान 2007सँसम्मानित।










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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों