मिथिला राज अभियानमे सर्मपित शहीद सभकेँ
श्रधा सुमन -
खूनसँ भिजलै धरती मिथला बनबे करतै
आब जोड़ लगाबए कियो झंडा गरबे करतै
सुनू बलिदानी सुनू शैनानी आब दिन दूर नै
विश्वक नक्शामे मिथिला राज चमकबे करतै
कतबो चलतै बम निकलै चाहे हमर दम
क्रांति बढ़ल आगू आब जुनि ई रुकबे करतै
बहुत सहलहुँ सभ सहबै नै आब ककरो
सोनितक हिलकोरसँ दुश्मन मरबे करतै
एक खूनक बूंदसँ सए बलिदानी जन्म लेतै
अपन अधिकार लेबै लेल ओ लड़बे करतै
(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-१८)
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जगदानन्द झा ‘मनु’
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