गुरुवार, 3 मई 2012

गजल


जनमेसँ टूगर हम प्रेमक लेल तरसैत रहलौं
भेटल किरण एक आशक तकरो त' मिझबैत रहलौं

दुख एहिकेँ केखनो नै की प्रेम किछु  नै पएलौं
अफसोस की एहि दुनिआमे चुप्प जीबैत रहलौं  

चमकैत सभ बस्तुकेँ हम अनजानमे सोन बुझलौं
सोना जखन हम पएलौं नै बुझि क' हरबैत रहलौं

किछु नै बचल आब अपनेकेँ लूटबअमे लागि गेलौं
तारी कटीयाक मेलामे होस हारैत रहलौं

आँखिक बिसरि आश गेलौं अनुराग सभटा बिसरलौं
गेलौं हराएब दुख ‘मनु’ छन सुखक बिसरैत रहलौं

(
बहरे मुजस्सम वा मुजास, मात्रा क्रम-२२१२-२१२२/२२१२-२१२२) 
@ जगदानन्द झा ‘मनु’

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों