गजल-३८
मन वीणा तार
झंकार भरल
मैथिल जन के
हुंकार प्रबल
बहुत आँखि केर
नोर बहल
बहुत जगक
दुत्कार सहल
आब उचित उपचार
करब
शत्रुक प्रहार
जे खून बहल
निज अधिकारक
हेतु लड़ब
सौभाग्य जँ
प्राण तियागै परल
मिथिला-राजक
तऽ माँग अटल
"चंदन"
मैथिल लड़िते डटल
------वर्ण-१२--------
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