कनिया हम्मर
बड़ गुणवन्ती बुझा गेल हमरा
किएक कुमारहि
लोक मरैए जना गेल हमरा
शांती जहिए घर
मे पैसली तहिए सँ छी अशांत
क्रांति घरमे
मचल तेहन जे मिटा गेल हमरा
सासु लगै
छन्हि सौतिन ससुर लगैन्ह चरबाह
गारि अलौकिक
हुनका मुँहक लजा गेल हमरा
संग गोतनी के
लड़थि भैंसुर के नहि परबाह
आबतऽ देखू
दुनू भाइयो बिच बझा गेल हमरा
रौ दैवा नहि
जनलौ किछुओ फँसलौ ब्याहक फाँस
"चंदन"
रूपक माया फँसरी लटका गेल हमरा
दृष्टव्य-ओना
हम व्यक्तिगत रूप मे एहि सँ फराक विचार रखैत छी नारीक प्रति.तखन समाजक ईहो एकटा
अंग अछिए तइँ
कल्पनाक पाँखि चढ़ि लिखल...
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