प्रस्तुत अछि मुन्ना जीक गजल-------------
आधुनिक तकनीकिये केओ सेर-सवा सेर अछि
पारंपरिक वितपनि भेनाइ सेहो अन्हेर अछि
मुदा ई परंपरे निमाहता करत जिनगीकेँ
जेना नाव सदिखन तकैत धारक कछेर अछि
वैश्वीकरण केर दौड़मे सभटा भेल छिन्न-भिन्न
जतै देखू आँखि उठा ततै लागल कूड़ा ढ़ेर अछि
लोक तैयो तँ लगबैत सन देखाइए अंध-दौड़
मुदा वास्तविक संस्कारे-परंपरा बेर-बेर अछि
आखर-----19
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