प्रस्तुत अछि मुन्ना जीक गजल-------------
मूँह पर मुस्की छलै बिहानसँ
पूर भेलै इहो कमैनी बथानसँ
टुग्गर तँ बुझै नेनेसँ अपनाकेँ
दुब्बर नै रहलै भेला सियानसँ
जिनगीक छँटलै अन्हरिया आब
ई भेटल नव तकनीकी ज्ञानसँ
धरमक लेल करए काटा-काटी
देवतो दुखी अपन अपमानसँ
अन्नक जगह लेलक फास्टफूड
डरैए नै केओ अन्नक जिआनसँ
प्रकृति बदलि रहल छैक सौंसे
लोक काज करैए योग आ ध्यानसँ
आखर-----13
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