समाज परिवर्तन संग्राम मे जे रहैत कात अछि
देखियौ आइ बहैत गंगा मे ओहो धोऐत हाथ अछि
अपमानक विष बुझु गडैत बहुत गहीर छैक
कात रहितो शांत सदिखन ओ लगबैत घात अछि
सत्ताधारी पैघ मनुखकें अपराध सब क्षम्य छैक
कोनो अपराध करै यदि ओकरा ले दूधभात अछि
अनुसरण करब पैघ के दुनिया कहै नीक छैक
दुरजन के जे करय अनुगम खैत ओ लात अछि
काफिया गलत अछि मतलामे। कात केर काफिया हाथ केखनो नै भए सकैत छै।
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