भूख जाड़ल लोक कोना हँसि सकैए
नोर कानल लोक कोना हँसि सकैए
दर्द जागल लोक कोना हँसि सकैए
साँस काटल लोक कोना हँसि सकैए
जहर चाटल लोक कोना हँसि सकैए
चोट लागल लोक कोना हँसि सकैए
"अमित" मारल लोक कोना हँसि सकैए
2122 तीन बेर सब पाँति मे
बहरे-रमल
अमित मिश्र
नोर कानल लोक कोना हँसि सकैए
देखने जे होइ अर्थी अपन लोकक
दर्द जागल लोक कोना हँसि सकैए
लोभ जागल मोह मोहल लोक हँसतै
साँस काटल लोक कोना हँसि सकैए
जहर बनबै जे कहाँ ओ नोर बहबै
जहर चाटल लोक कोना हँसि सकैए
दर्द दै जे छी कने अपने ल' देखू
चोट लागल लोक कोना हँसि सकैए
राखि हमरो नोर अपना आँखि सोचू
"अमित" मारल लोक कोना हँसि सकैए
फाइलातुन
2122 तीन बेर सब पाँति मे
बहरे-रमल
अमित मिश्र
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