प्रस्तुत अछि मुन्ना जीक गजल-------------
छोटको ठेससँ नै सबक लेलहुँ हम
तँए बड़का खाधिमे खसि गेलहुँ हम
जोगाड़ तँ सभ छल जिनगीमे हमरा
जेबी छल छोट तँए नै लगेलहुँ हम
आब तँ माँझ आँगनमे कतिआएल छी
अपने चालिसँ आब बेरा गेलहुँ हम
नोर तँ खसैए मुदा मजा सन लगैए
केहन नीक प्रेमक दुख लेलहुँ हम
बड्ड धाह छल जे ई करब ओ करब
मुदा नौकरीकेँ फेरमे सितेलहुँ हम
आखर-----15
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें