अनचिन्हार आखर
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शेर जे सभ दिन शेर रहतै
मंगलवार, 14 अगस्त 2012
रुबाइ
बहुत दिनक बाद ई एकटा रुबाइ-----
रुबाइ
खसबे करतै नोर हमर सारापर
हम तँ मरि गेलहुँ बस एही आशापर
मरला बाद एकौ बेर ने देखलक
हम तँ जीबै छलहुँ जकर इशारापर
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