कतिआएल आखर
बात चारि बर्ष पहिलुक अछि हमरा संगे एकटा संगी हमरे रूम मे रहैत छल । पढ़ैमे कने कमजोर छलै मुदा कंपटीसनमे हमरासँ 2-3 घंटा बेसीए राति कऽ जागै छल आ एकर फलस्वरूप 10 टा मे 4 टा सबाल जरूर हल कऽ लै छलै ।ओना तऽ हमरासँ बेशी बात नै करैत छल म
बात चारि बर्ष पहिलुक अछि हमरा संगे एकटा संगी हमरे रूम मे रहैत छल । पढ़ैमे कने कमजोर छलै मुदा कंपटीसनमे हमरासँ 2-3 घंटा बेसीए राति कऽ जागै छल आ एकर फलस्वरूप 10 टा मे 4 टा सबाल जरूर हल कऽ लै छलै ।ओना तऽ हमरासँ बेशी बात नै करैत छल म
ुदा भोर होइते बाँकी बचल सबालक लेल हमरा लऽग जरूर आबि जाइत छल आ एखन ओ मित्र बी .टेक कऽ रहल अछि ।इ घटना चारि सालक बाद मोन पड़ल मुन्ना जीक एकटा शेर पढ़िकऽ
डाहसँ पहुँचब कोस-दू कोस
आगू बढ़बा लेल तँ प्रेम चाही
पिछला डेढ़ महिनासँ मुन्नाजीक गजल संग्रह "माँझ आँगनमे कतिआएल छी " थोड़े-थोड़े पढ़ै छलौँह मुदा काल्हि भरि राति एकर गहन अध्ययन केलौँ ।कुल 50 टा गजल आ 10 टा रूबाइ के संग्रह अछि "माँझ आँगन मे कतिआएल छी" ।पोथीक नाम पढ़ि मोनमे किदन-कहाँदन बात सब उठऽ लागल ।कतिआएल उहो माँझ आँगनमे बिचित्र सन लागल मुदा पढ़लाक बाद हमरा लागैत अछि जे शाइर एहि समाजके आँगन आ एहि समाज रुपि आँगनक माँझ मे अपन बैसार बनेने छथि ।इ भऽ सकैए जे समाजक किछु भागसँ इ कतिआएल हेताह मुदा पूरा समाजसँ किन्नौह कतिआएल नै लागै छथि । हमर इ कथनक सत्यता एहि संग्रह के पढ़लाक बाद बुझा जाएत । इ तऽ प्रेमो केलनि तऽ समाजके ध्यान मे राकि तेँए तँ कहै छथि
सब उमरि वर्ग के प्रेम चाही
मरितो दम धरि कुशल छेम चाही
आशा आ निराशाके फरिछाबैत कहलनि
निराशा संग आशापर टिकल छै दुनियाँ
जँ देखलँहुँ भगजोगनी तँ दिबाली बुझू
बिहारक ताकत आ कमजोरी के समेटने इ शेर
बिहारक सिरखारी बदलि गेल सन लगैए आब
श्रमिक घटलासँ कंपनी मालिक लगै बिहारी जकाँ
एहन-एहन कतेको दमदार शेर सबसँ सजल इ गजल संग्रह अपना-आप मे अलग पहचान बनबैत अछि ।
पहिले गजल के देखलापर एकटा बात हमरा खटकल जे छल मात्र चारि टा शेर । गजलमे कमसँ-कम पाँच टा शेर रहबाक चाही मुदा एहि संग्रहक गजल संख्याँ 1,2,7,10,11,19,22,23,24,25,27,28,32,34,35,37,39,42,43,44,47,48 मे मात्र चारिए टा शेर अछि जे की गलत अछि ।ओना शाइर आमुखक अंतीममे इ गलती स्वीकार करै छथि आ एकर जिम्मेदार अपना के मानैत भविष्यमे एकर सुधारक वादा करैत छथि मुदा हुनक शब्दक पकड़ आ भावक अध्ययन केला के बाद हमरा लागैत अछि जे शाइरक लेल उपरोक्त गजलमे एक-एक टा शेर बढ़ेनाइ कोनो भारी बात नै छलै तेँए हम एकरा आलस मानै छी ।
आब चलु काफियापर । एहि संग्रहक किछु गजलमे एकै काफियाक प्रयोग भेल अछि जेना 26म गजल मे तीन ठाम काफिया "चाहैए" अछि ।29मे पाँच ठाम "एखनो" 31मे पाँच ठाम "उघारू" 46म मे पाँच ठाम"केकरो-केकरो" अछि ।किछु और गजलमे इ बात अछि ।ओना काफियाक दोहरेलासँ गजल गलत नै होइ छै ।
तेसर गजलमे मतला नै अछि किएक तँ इ गजलक पहिल शेर अछि
फाटैत छल जतए मेघ आ जमीन
पहुँचल पहिने ओतहि अभागल
बचल चारिटा शेरमे "अभागल" के काफिया मानि क्रमश: "राँगल ,भाँजल , माँजल आ साधल लिखल अछि ।4म गजलक मतलामे "करैए" आ राखैए" "ऐए" तुकान्त संग अछि मुदा पाँचम शेर मे काफिया "होइए" अछि । छठम गजलक अंतीम शेरमे"कहाइ" के बदला गलत काफिया "कहाइत" लिखा गेल । 32म गजलक मतला अछि
हमरा तँ सुख भेटैए गजलक गाँतीमे
ओहिना जेना जाड़ मे गर्मी भेटैए गाँतीमे
एहिठाम "गाँतीमे" रदीफ भेल आ काफियाक अता-पता- नै अछि ।ओना आन शेरमे काफिया "आतीमे" तुकान्त संग अछि ।
41म गजलक मतलामे काफिया "झमका आ चमका " तुकान्त "मका" संग अछि मुदा दोसर शेरमे काफिया "उठा" अछि ।
44म गजल मे काफियाक तुकान्त "एल" अछि मुदा दोसर शेरमे काफिया "रखैल" "ऐल" तुकान्त अछि ।
17म गजलमे अंग्रेजी शब्दक काफिया "गेम" आ "ब्लेम" लिखल अछि ।
एहि संग्रहक सबटा गजल सरल वार्णिक बहरमे अछि ।ओना तँ इ बहर गजलक सबसँ हल्लुक बहर अछि मुदा शाइर इहो बहरमे बहुते बेर धोखा खाइत छथि । हमरा जानैत 26टा गजल गजलक कोनो शेरमे एक-दू टा वर्ण बढ़ा देलनि तँ कोनो मे घटा देलनि ।जेना
दोसर गजलक अंतीम शेरमे 15 के बदले 16 वर्ण अछि ।7म गजलक तेसर शेरमे 18 के बदले 19 वर्ण अछि । 9म मे दोसर शेरमे 11 के बदले 10 वर्ण अछि । 11म गजलक अंतीम शेरक अंतीम पाँतिमे 18 के बदले 17 वर्ण अछि ।एहन गजती गजल संख्याँ 12,14,15,18,19,20,22,24,26,28,29,30,31,32,34,35,38,42,43,46,47आ 48 मे सोहो भेल अछि ।
ओना जँ भावक बात करी तँ एहि गजल संग्रहके ऊँचाइ पर पहुँचा देने अछि एकर भाव । सबटा गजल हृदय के छू लैत अछि आ सोचबाक लेल मजबूर करैत अछि तेँए इ आन संग्रह सबसँ बिल्कुल अलग अछि आ एकर आखर आन संग्रहक आखरसँ कतिआएल अछि । भावक कारणे इ संग्रहक "कतिआएल आखर" पढ़बाक योग्य अछि ।हमर सलाह अछि जे एकबेर एकरा अजमा कऽ जरूर देखू ।
बेस तँ अहूँ सब पढ़ू आ हम जाइ छी दोसर गजलक खोजमे . . .
अमित मिश्र
डाहसँ पहुँचब कोस-दू कोस
आगू बढ़बा लेल तँ प्रेम चाही
पिछला डेढ़ महिनासँ मुन्नाजीक गजल संग्रह "माँझ आँगनमे कतिआएल छी " थोड़े-थोड़े पढ़ै छलौँह मुदा काल्हि भरि राति एकर गहन अध्ययन केलौँ ।कुल 50 टा गजल आ 10 टा रूबाइ के संग्रह अछि "माँझ आँगन मे कतिआएल छी" ।पोथीक नाम पढ़ि मोनमे किदन-कहाँदन बात सब उठऽ लागल ।कतिआएल उहो माँझ आँगनमे बिचित्र सन लागल मुदा पढ़लाक बाद हमरा लागैत अछि जे शाइर एहि समाजके आँगन आ एहि समाज रुपि आँगनक माँझ मे अपन बैसार बनेने छथि ।इ भऽ सकैए जे समाजक किछु भागसँ इ कतिआएल हेताह मुदा पूरा समाजसँ किन्नौह कतिआएल नै लागै छथि । हमर इ कथनक सत्यता एहि संग्रह के पढ़लाक बाद बुझा जाएत । इ तऽ प्रेमो केलनि तऽ समाजके ध्यान मे राकि तेँए तँ कहै छथि
सब उमरि वर्ग के प्रेम चाही
मरितो दम धरि कुशल छेम चाही
आशा आ निराशाके फरिछाबैत कहलनि
निराशा संग आशापर टिकल छै दुनियाँ
जँ देखलँहुँ भगजोगनी तँ दिबाली बुझू
बिहारक ताकत आ कमजोरी के समेटने इ शेर
बिहारक सिरखारी बदलि गेल सन लगैए आब
श्रमिक घटलासँ कंपनी मालिक लगै बिहारी जकाँ
एहन-एहन कतेको दमदार शेर सबसँ सजल इ गजल संग्रह अपना-आप मे अलग पहचान बनबैत अछि ।
पहिले गजल के देखलापर एकटा बात हमरा खटकल जे छल मात्र चारि टा शेर । गजलमे कमसँ-कम पाँच टा शेर रहबाक चाही मुदा एहि संग्रहक गजल संख्याँ 1,2,7,10,11,19,22,23,24,25,27,28,32,34,35,37,39,42,43,44,47,48 मे मात्र चारिए टा शेर अछि जे की गलत अछि ।ओना शाइर आमुखक अंतीममे इ गलती स्वीकार करै छथि आ एकर जिम्मेदार अपना के मानैत भविष्यमे एकर सुधारक वादा करैत छथि मुदा हुनक शब्दक पकड़ आ भावक अध्ययन केला के बाद हमरा लागैत अछि जे शाइरक लेल उपरोक्त गजलमे एक-एक टा शेर बढ़ेनाइ कोनो भारी बात नै छलै तेँए हम एकरा आलस मानै छी ।
आब चलु काफियापर । एहि संग्रहक किछु गजलमे एकै काफियाक प्रयोग भेल अछि जेना 26म गजल मे तीन ठाम काफिया "चाहैए" अछि ।29मे पाँच ठाम "एखनो" 31मे पाँच ठाम "उघारू" 46म मे पाँच ठाम"केकरो-केकरो" अछि ।किछु और गजलमे इ बात अछि ।ओना काफियाक दोहरेलासँ गजल गलत नै होइ छै ।
तेसर गजलमे मतला नै अछि किएक तँ इ गजलक पहिल शेर अछि
फाटैत छल जतए मेघ आ जमीन
पहुँचल पहिने ओतहि अभागल
बचल चारिटा शेरमे "अभागल" के काफिया मानि क्रमश: "राँगल ,भाँजल , माँजल आ साधल लिखल अछि ।4म गजलक मतलामे "करैए" आ राखैए" "ऐए" तुकान्त संग अछि मुदा पाँचम शेर मे काफिया "होइए" अछि । छठम गजलक अंतीम शेरमे"कहाइ" के बदला गलत काफिया "कहाइत" लिखा गेल । 32म गजलक मतला अछि
हमरा तँ सुख भेटैए गजलक गाँतीमे
ओहिना जेना जाड़ मे गर्मी भेटैए गाँतीमे
एहिठाम "गाँतीमे" रदीफ भेल आ काफियाक अता-पता- नै अछि ।ओना आन शेरमे काफिया "आतीमे" तुकान्त संग अछि ।
41म गजलक मतलामे काफिया "झमका आ चमका " तुकान्त "मका" संग अछि मुदा दोसर शेरमे काफिया "उठा" अछि ।
44म गजल मे काफियाक तुकान्त "एल" अछि मुदा दोसर शेरमे काफिया "रखैल" "ऐल" तुकान्त अछि ।
17म गजलमे अंग्रेजी शब्दक काफिया "गेम" आ "ब्लेम" लिखल अछि ।
एहि संग्रहक सबटा गजल सरल वार्णिक बहरमे अछि ।ओना तँ इ बहर गजलक सबसँ हल्लुक बहर अछि मुदा शाइर इहो बहरमे बहुते बेर धोखा खाइत छथि । हमरा जानैत 26टा गजल गजलक कोनो शेरमे एक-दू टा वर्ण बढ़ा देलनि तँ कोनो मे घटा देलनि ।जेना
दोसर गजलक अंतीम शेरमे 15 के बदले 16 वर्ण अछि ।7म गजलक तेसर शेरमे 18 के बदले 19 वर्ण अछि । 9म मे दोसर शेरमे 11 के बदले 10 वर्ण अछि । 11म गजलक अंतीम शेरक अंतीम पाँतिमे 18 के बदले 17 वर्ण अछि ।एहन गजती गजल संख्याँ 12,14,15,18,19,20,22,24,26,28,29,30,31,32,34,35,38,42,43,46,47आ 48 मे सोहो भेल अछि ।
ओना जँ भावक बात करी तँ एहि गजल संग्रहके ऊँचाइ पर पहुँचा देने अछि एकर भाव । सबटा गजल हृदय के छू लैत अछि आ सोचबाक लेल मजबूर करैत अछि तेँए इ आन संग्रह सबसँ बिल्कुल अलग अछि आ एकर आखर आन संग्रहक आखरसँ कतिआएल अछि । भावक कारणे इ संग्रहक "कतिआएल आखर" पढ़बाक योग्य अछि ।हमर सलाह अछि जे एकबेर एकरा अजमा कऽ जरूर देखू ।
बेस तँ अहूँ सब पढ़ू आ हम जाइ छी दोसर गजलक खोजमे . . .
अमित मिश्र
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