गजल
कहियो दिवाली त कहियो रमजान मनि गेल
मंदिर आ मस्जिदक नामे त देश हक़नि गेल
पाहिले एक्कहि गाछक दु गोट ठैढ छल दुनू
आइ काल्हि एक दोसर सँ अनजान बनि गेल
छल संगहि संग कष्ट सह्बाक काल सदिखन
सुखक घड़ी म सनकल आ अरारि ठनि गेल
राम आर रहीम म कोनो अंतर कहाँ छलैक
धर्मक नामे तहन कोना शोणित तपनि गेल
होली म खाइत पुआ आ ईदक सेवई बँटाय
मुल्ला आ पंडित मुदा सभटा स्नेह दफनि गेल
भगवान आ अल्लाह त एक्कै बना पठौने छला
नहिं जानि कोना हिन्दू आ मुसलमान बनि गेल
गाँधी जिन्ना नेहरु आ गफ्फार सबहक "राजीव"
सनकी सभ दंगा फसाद कए मान हनि गेल
(सरल वार्णिक बहर,वर्ण-१८)
राजीव रंजन मिश्र
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