गजल
कतेक दिनक पियासल अछि
नहि जानि हैत की आजुक राति
टेमी स ततारल दागल अछि
पाथर क्यउ एक मारल अछि
नहिं जानि हम सम्हरब कोना
करेज हमर त डाढल अछि
बुझबी एकरा हम परतारी
नै जानि अनेरो हकासल अछि
मानल नहि एक्को बात हमर
"राजीव" बेकल भ' फाटल अछि
(सरल वार्णिक बहर, वर्ण- १२)
राजीव रंजन मिश्र
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