सोमवार, 6 अगस्त 2012

गजल

बाल गजल -36

चल पहाड़ा संग मे ककहरा पढ़ि ले
सुन्नर ज्ञानसँ सजल महल तूँ गढ़ि ले

बंगला हेतौ अपन नव सजल गाड़ी
आइ पोथी के भरल रेलपर चढ़ि ले

ज्ञान बिनु बनि जानबर मनुष जीबै छै
पैघ लोकक बाटपर आइ तूँ बढ़ि ले

छोड़ि आलस मोड़ि धारा बना पथ तूँ
जीवनक कलशपर तूँ स्वर्ण जग मढ़ि ले

पाँति तोहर नाम के जपत सालोँ भरि
राति तोहर "अमित" दिन अपन छौ पढ़ि ले

फाइलातुन-फाइलातुन- मफाईलुन
2122-2122-1222
बहरे- कलीब

अमित मिश्र



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों