अनचिन्हार आखर
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शेर जे सभ दिन शेर रहतै
सोमवार, 6 अगस्त 2012
रूबाइ
रूबाइ-112
वर्षा मे हँसि हँसि क' जतबे भीजै छी
प्रकृति के अहाँ त' ओतबे जड़ाबै छी
बूनक भाग बुझियौ आइ चमकि गेलै
आँजुर मे ल' क' देहपर छिरियाबै छी
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