गुरुवार, 23 अगस्त 2012

" गजल कमला-कोसी-बागमती-महांदा सम्मान " गजलक आलोचना, समीक्षा आ इतिहास लेखन लेल।

आलोचक वा समीक्षक कोनो विधाक विकास लेल सभसँ बड़का सहायक होइत छथि। जँ दोसर शब्दमे कही तँ जँ लेखक कोनो रचनाक माए-बाए होइत छथि तँ आलोचक वा समीक्षक रचनाक पोषक। अनचिन्हार आखर गजल, बाल गजल वा शेरो शाइरीक अन्य विधा लेल " गजल कमला-कोसी-बागमती-महांदा सम्मान " तँ दू बर्खसँ दए रहल छल। मुदा ऐ बर्खसँ गजल, बाल गजल वा शेरो-शाइरीक आलोचना, समीक्षा, इतिहास लेखन आदिपर सेहो ई सम्मान देत। कहबाक मतलब जे आब एक बर्खमे तीन टा " गजल कमला-कोसी-बागमती-महांदा सम्मान " देल जाएत---

१) पहिल अछि गजल वा शेरो शाइरी लेल
२) दोसर भेल बाल-गजल लेल, आ
३) तेसर भेल जल, बाल गजल वा शेरो-शाइरीक आलोचना, समीक्षा, इतिहास लेखन आदिपर।

बहुत गोटेँ एहन छथि जे गजल, बाल गजल वा शेरो शाइरी तँ नै लीखि पाबै छथि मुदा ओ सभ नीक आलोचना वा टीका-टिप्पणी करै छथि। हमर ई छोट सन प्रयास अछि ओहन-ओहन आलोचककेँ गजलसँ जोड़बाल लेल। तँ आउ आलोचना वा समीक्षा लीखी गजलक।

आलोचनाक चयन मात्र सालमे एक बेर कए जाएत। आ ईहो हरेक बर्खक तिला संक्रांतिकेँ देल जाएत।
मुख्य चयनकर्ताक घोषणा बादमे कए जाएत।

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों