१) पहिल अछि गजल वा शेरो शाइरी लेल
२) दोसर भेल बाल-गजल लेल, आ
३) तेसर भेल जल, बाल गजल वा शेरो-शाइरीक आलोचना, समीक्षा, इतिहास लेखन आदिपर।
बहुत गोटेँ एहन छथि जे गजल, बाल गजल वा शेरो शाइरी तँ नै लीखि पाबै छथि मुदा ओ सभ नीक आलोचना वा टीका-टिप्पणी करै छथि। हमर ई छोट सन प्रयास अछि ओहन-ओहन आलोचककेँ गजलसँ जोड़बाल लेल। तँ आउ आलोचना वा समीक्षा लीखी गजलक।
आलोचनाक चयन मात्र सालमे एक बेर कए जाएत। आ ईहो हरेक बर्खक तिला संक्रांतिकेँ देल जाएत।
मुख्य चयनकर्ताक घोषणा बादमे कए जाएत।
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