बाल गजल-35
हमरासँ बड दूरे रहै छै चान रे
संगे तरेगण के सजै छै चान रे
धरती बहिन के बिसरि गेलनि गाम के
हमरासँ बड दूरे रहै छै चान रे
संगे तरेगण के सजै छै चान रे
धरती बहिन के बिसरि गेलनि गाम के
मामा हमर कोना बसै छै चान रे
भोजन घ'रक नै ओत' शाइद तेँ त' ओ
सब दिन घटै सब दिन बटै छै चान रे
नै दूध पठबै भात पठबै आब नै
पूआ गुड़क नै ने बनै छै चान रे
मामा जकाँ बाबू बसल परदेश मे
टाँफीक बिन नोरो खसै छै चान रे
मुस्तफइलुन
2212 तीन बेर
बहरे- रजज
अमित मिश्र
भोजन घ'रक नै ओत' शाइद तेँ त' ओ
सब दिन घटै सब दिन बटै छै चान रे
नै दूध पठबै भात पठबै आब नै
पूआ गुड़क नै ने बनै छै चान रे
मामा जकाँ बाबू बसल परदेश मे
टाँफीक बिन नोरो खसै छै चान रे
मुस्तफइलुन
2212 तीन बेर
बहरे- रजज
अमित मिश्र
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