बाल गजल
गली गली में झंडा फहरेबै हम
गामे गामे तिरंगा लए जेबै हम
बहुत मोल छैक स्वतंत्रता केर
घरे घरे सभके ई बतेबै हम
केसरिया थिक बल आर विराग
सभके बल पौरुष जगेबै हम
उज्जर सत्त मोनक ईजोर छैक
निश्छल रहि जिवन बीतेबै हम
हरियर थिक खेतक लहलही
धरती सए मोती उपजेबै हम
चक्र अशोक कहय छै जे कहियो
अन्याय कए नै माथ झुकेबै हम
'राजीव' सप्पत लैत छी सभ मिलि
भारत मायक' मान बढेबै हम
(सरल बार्णिक बहर,वर्ण-१३)
राजीव रंजन मिश्र
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें