घर-घर रावन आई बसल अछि
सौभाग्यक सीता कतए भसल अछि
करेजाक स्नेहकेँ मोल ने रहि गेल
सभहक प्रेम पाईमे फसल अछि
कर्तव्य बोध बिसरा गेल सभतरि
भ्रष्टाचारमे सभ कियो धसल अछि
बैमान बैसल अछि राजगद्दीपर
इमानक मीटर कते खसल अछि
देश समाज 'मनु' नहि कुशल आब
जमाए बनल आतंकी असल अछि
जगदानन्द झा 'मनु'
(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-१४)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें