बाल गजल-37
काकीक आंगन तऽ आयल छल चोर जे
खा गेल मक्खन लऽ गेलै सब घोर जे
चिन्नी खसा देलकै बर्तन फेकलक
काकीक आंगन तऽ आयल छल चोर जे
खा गेल मक्खन लऽ गेलै सब घोर जे
चिन्नी खसा देलकै बर्तन फेकलक
भनसाघरे मे बुझू नाँचल मोर जे
सीका खसल मटकुरी फूटल चारि टा
छाल्ही दही दूध सब सानल झोर जे
काकी पढ़ै गाड़ि बहुते सब चोर के
जप छोड़ि बाबी पड़ल भोरे भोर जे
लागल छलै सब बिलैया के दोष जे
सेना हमर "अमित" बड माखनखोर जे
मुस्तफइलुन-फाइलातुन-मुस्तफइलुन
2212-2122-2212
बहरे-सगीर
अमित मिश्र
सीका खसल मटकुरी फूटल चारि टा
छाल्ही दही दूध सब सानल झोर जे
काकी पढ़ै गाड़ि बहुते सब चोर के
जप छोड़ि बाबी पड़ल भोरे भोर जे
लागल छलै सब बिलैया के दोष जे
सेना हमर "अमित" बड माखनखोर जे
मुस्तफइलुन-फाइलातुन-मुस्तफइलुन
2212-2122-2212
बहरे-सगीर
अमित मिश्र
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें