बाल गजल
दीदी हम सभ मिलि क झंडा बनेबै ना
पंद्रह अगस्त क' तिरंगा फहरेबै ना
भाईजी तू कागत केर झंडा बनाबय
बांसक करची आनि क' डंडा लगेबै ना
सभ गोटेक हाथे एक एक टा क चाही
हम सभ संगहिं घर सँ बहरेबै ना
अहि दिनक बड्ड मोल छई गै बहिना
घूमि घूमि सगरो से सभ के बतेबै ना
तू सभ सुनिहैंन संच मंच बैस कए
नेताजी बनि हम जे भाषण सुनेबै ना
सभ गोटे ठाढ़ भए आँगन में संगहिं
मिलल कंठ सँ जन गण मन गेबै ना
झंडा फहरा क' प्रसादो त होबाक चाही
बाबा सँ कहि क' खुब बुनिया मंगेबै ना
पढि लिखि पैघ भ' देश आर समाजक
"राजीव" सभ रुपे मान हम बढेबै ना
(सरल वार्णिक बहर,वर्ण-१५)
राजीव रंजन मिश्र
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