गजल
जँ करबै विश्वास भेटत दर्द सगरो
खसल लोकक नेत संगे नेह नजरो
गजल माँगै भाव संगे शब्द हल्लुक
अपन भाषा संग राखू मोन बहरो
सिनेहसँ छै भरल पति-पत्नी जगतमे
मुदा ओतौ होइ छै कखनो कऽ झगड़ो
जँ करबै विश्वास भेटत दर्द सगरो
खसल लोकक नेत संगे नेह नजरो
गजल माँगै भाव संगे शब्द हल्लुक
अपन भाषा संग राखू मोन बहरो
सिनेहसँ छै भरल पति-पत्नी जगतमे
मुदा ओतौ होइ छै कखनो कऽ झगड़ो
बरसि जेतै मेघ रौदी भागि जेतै
खसै छै अमृत बहै ठनकाक नहरो
कते मोनक बात मोनेमे रहै छै
हुनक चुप्पी अमित देलक तोड़ि हमरो
मफाईलुन-फाइलातुन-फाइलातुन
1222-2122-2122
बहरे-सरीम
अमित मिश्र
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