गुरुवार, 23 अगस्त 2012

गजल


गजल


पूछै छी चुप्प कियाक कहब त ठेकानि पायब
अहाँ जनितो अनजान रहि कोना जानि पायब

सुनय निश्चित्ते चाहब मुदा मजबूर छी अहाँ
अपने सोचक छी जकड़ल कोना त्राणि पायब

मानब ने कहल कोनो हठधर्मिताक चलते
रहल याह प्रवृति त' ने हँसि ने कानि पायब

संगठन में छैक एकता आ ताहि भरोसे बल
पानि चढ़ल नाक तक से कहिया मानि पायब

चली जौं सभ मिलि बिसरि ऊँच-नीच केर भाब
बुझु निःशंक रुपहिं जे राम-राज आनि पायब

राजीव करै गोहार दुनु कौल जोरि सभहक़
जाति-पाँति मानि ने कहियो देबाल फानि पायब

(सरल वार्णिक बहर,वर्ण-१८)

राजीव रंजन मिश्र

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों